प्रभुवंदना की कुंडलियाँ
(1) अंतर में शुचिता पले,तो हो प्रभु का भान। वरना मानव मूर्ख है,कर ले निज अवसान।। कर ले निज अवसान,विधाता
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Read Moreजब प्रेम दिखा तब रूप सजा,जब रूप सजा तब प्रेम महान। मन है चहका,दिल है बहका,जब दे नित ही कुछ
Read More1. राणा प्रतापऔर उनके वीर ~~~~~~~~~~~~~~~~ शौर्य के प्रचण्ड पिण्ड कहो मारतण्ड चण्ड, तोड़ दिग्गजों की तुण्ड ठण्ड झेलने लगे
Read More-1- करके चोरी ‘विज्ञ’जन , बाँट रहे नित ज्ञान। स्वयं नहीं करते कभी,ऐसे विज्ञ महान।। ऐसे विज्ञ महान, ज्ञान की
Read Moreरहता काँटों संग मैं, मेरा नाम गुलाब। जिसके हाथों में गया, लगे देखने ख्वाब।। लगे देखने ख्वाब, प्रेम जोड़े हैं
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