कुंडलिया छन्द
नेता करते हैं यहां, बस अपना उत्थान जनता को ही देखिए, करने सब बलिदान करने सब बलिदान, गिला मत करना
Read Moreनेता करते हैं यहां, बस अपना उत्थान जनता को ही देखिए, करने सब बलिदान करने सब बलिदान, गिला मत करना
Read Moreमद्धिम कुहरे की छटा चीर पूरब से आते रश्मिरथी उनके स्वागत में भर उड़ान आकाश भेदते कलरव से खग वंश
Read Moreदिव्य दिवाकर,नाथ प्रभाकर,देव आपको,नमन करूँ। धूप-ताप तुम,नित्य जाप तुम,करुणाकर हे!,तुम्हें वरूँ।। नियमित फेरे,पालक मेरे,उजियारा दो,पीर हरो। दर्द लड़ रहा,पाप अड़
Read Moreसाहस शौर्य शक्ति की प्रतिमा, नारी का जग पर उपकार दुर्गा लक्ष्मी राजपुतानी, की गाथाये कहें पुकार जग को जीवन
Read More(१) ठंडी की तो रुत है आई,माँगें सभी रजाई। मौसम ने मारा है सबको,व्याकुल दद्दा-माई।। हवा चल रही बेहद शीतल,देते
Read More(1) धरती माता लाड़ का,है असीम भंडार। संतति की सेवा करे,है सुख का आगार।। है सुख का आगार,धरा है सुख
Read Moreमंद सुगंध पवन, भरे आज प्रेम घन, सघन घनघोर में, व्यथा सुन लीजिए।
Read More1. सावन महीना आ गया, मन है भाव विभोर। पपीहे कुहू-कुहू कर रहे, नृत्य कर रहे मोर। नृत्य कर रहे
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