महाठगबंधन
कभी गरियाते हैं, तो कभी गले लगाते हैं निज लाभ लोभ में एक-दूजे को सहलाते हैं एक पूरब एक पश्चिम, एक उत्तर एक
Read Moreफागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की। आजा साजन होली खेलें, प्रेम रंग इजहार की। मौसम है अलबेला
Read Moreन मैडम के, न सर जी के हम मालिक अपनी मर्जी के। ज्यादा की कोई चाह नहीं, इसलिए कोई परवाह नहीं
Read Moreपलते-पलते स्वप्न, नैनों को छल जाते हैंकरते-करते हवन, हाथ भी जल जाते हैं आँगन में जो रोपा था, तुलसी का
Read Moreमैं अपनी जिंदगी को ख़त लिख रही हूँ,जो गुज़रे वो लमहें बयां कर रही हूँ। जिया है जिसे हँसते-खेलते,न ही
Read Moreप्यारा महीना फ़ागुन का सुंदर और सलोना है। सबके हृदय में आनंद और उल्लास जगाता है। धन-धान्य से परिपूर्ण,मन उद्वेलित हो जाता
Read Moreऐे सैनिक ! फौजी,जवान, है तेरा नितअभिनंदन। अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।। गर्मी,जाड़े,बारिश में भी,तू सच्चा सेनानी अपनी माटी
Read Moreअंडमान का, सेल्युलर जेलजिनसे बन गया, अब तपोवन हैऐसे वीर सावरकर , जी को हमारा शत् शत् , नमन है
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