एक किरदार नज़र आएगा
सियासत को ज़माने की अभीभी न समझ सके तुम तो,दर्द है सीने में मगर, चहरे परमुस्कान सजा ली मैं ने,ज़माना
Read Moreसियासत को ज़माने की अभीभी न समझ सके तुम तो,दर्द है सीने में मगर, चहरे परमुस्कान सजा ली मैं ने,ज़माना
Read Moreनहीं है ख्वाहिश की दरिया से जा मिलूँ अभी,लोगों की प्यास बुझे कुछ और बहुँ मैं अभी।फेंक दे तू उत्कंठा
Read Moreजीवन के पन्नेरोशनी से परिपूर्ण हैं,हर शब्द अपने अर्थ कोसमाहित करता है,चमकता हैसंशय पूर्ण रास्तों मेंमशाल बनकर जलता हैतपता है,सोना
Read Moreचल रही मदमस्त पुरवाई,मौसम ने ली है अंगड़ाई,खेतों में फसलें लहलहाई,खुशियां यहां-वहां बिखराई । फूल खिले रंग-बिरंगे प्यारे,भंवरे गुनगुनगुन करते
Read Moreसब बैठे हैं कुछ न कुछ लिखने को,इसे होड़ न समझिए कि कर रहेएक दूजे से अच्छा दिखने को,कोई लिख
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