परम्पराओं का अभिमान
होली आई होली आई,आया रंगों का त्योहार।परम्परओं का अभिमान।होलिका दहन, धुलेंडी,अबीर, रंग और गुलाल।सखी सहेली, सांवली,वो हो गई लालम लाल।ढोल
Read Moreहोली आई होली आई,आया रंगों का त्योहार।परम्परओं का अभिमान।होलिका दहन, धुलेंडी,अबीर, रंग और गुलाल।सखी सहेली, सांवली,वो हो गई लालम लाल।ढोल
Read Moreहम सनातन जोर है जब, दीखता अब।है बड़ा मन, श्रेष्ठ चिंतन।देख मंजर, खेप खंजर।सोचता मन, दे दनादन।। सत्य पथ पर,
Read Moreबसंत की धवल चांदनी नेभर दिए राग ऐसे।पूछो अधरों कि थिरकन से।।गहरे छिपे राग हैं, इसमें,देखो मधुर चांदनी कि हलचल
Read Moreअकेले हम बूंद हैं,मिल जाएं तो सागर। अकेले हम धागा हैं,मिल जाएं तो चादर। अकेले हम अल्फ़ाज़ हैं,मिल जाय तो
Read Moreएक नई दोस्त मिली है मुझे,मन में हलचल सी हो रही है मुझे,सुरज की किरणों सी खिला चेहरा,हर बात में
Read Moreजिस जहर को फैलाने मेंमदद कर रहे हो दुश्मन को,एक दिन निश्चित रूप सेपहुंच जाएगी तुम्हारे ही बच्चों तक,तब तुम्हें
Read Moreजीवन जग में हरि रूप अनंतरसजा-समाया सदैव मन भीतर रहे बाट जोहे जीवन भरआज हुआ संपूर्ण अति सुंदर राम मेरे
Read Moreडसने को हमकोभेष बदलकर चल रहीइच्छाधारी नागिन वासनाकर मीठी बातों का श्रृंगार,बनकर प्यार, बनकर प्यार। एक सप्ताह तक खूब चलाखेल
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