धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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पुरुषोत्तम मास – अधिकस्य अधिकम् फलम्

इन दिनों सर्वत्र पुरुषोत्तम मास यानि की अधिक मास की धूम है। मन्दिरों, मठों, आश्रमों से लेकर सत्संग और कथा पाण्डालों तक

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आत्मशुद्धि का साधन है : ‘क्षमा’

‘पर्युषण पर्व’ आत्म-शुद्धि का पर्व है। यह सत्य, अहिंसा और प्रेम का प्रतीक है एवं इसका एक आध्यात्मिक महत्त्व भी

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प्रकृति के महिमागान का महापर्व – हरियाली अमावस्या

वर्षा से नहायी और हरियाली की चादर ओढ़े सजी-सँवरी प्रकृति के सौन्दर्य को निहारने के लिए प्रकृति प्रेम से परिपूर्ण

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