व्यंग्य – ‘बागों में बहार है, कलियों पे निखार है’
बसंत मतलब कवियों और साहित्यकारों के लिए थोक में रचनाएं लिखने का सीजन। बसंत मतलब तितलियों का फूलों पर मंडराने, भौंरे
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Read Moreइधर सोशल मीडिया पर किसी पुस्तक मेले की खूब चर्चा चली ! मैं भी यहीं से पुस्तक-मेले में हो रही
Read Moreमैं एक असामाजिक-तत्व हूँ क्योंकि न शराब पीता हूँ और ना ही चाय। चार लोगों में बैठने लायक आदमी नहीं
Read Moreयदि आप सोचते हैं कि मैं भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तानियों अथवा तालिबानी घुसपैठियों के सम्बन्ध में लिखने जा रहा हूँ
Read Moreआज के ज़माने में ऐसे स्वामिभक्त नौकर बहुत दुर्लभ होते हैं जो अपने मालिक की सेवा करने के लिए खुशी-खुशी
Read Moreजब से कोहरे पर चर्चा चली है तब से इसपर लिखने का बड़ा मन कर रहा था, लेकिन लिखने का
Read Moreकहीं जन्म – कहीं मृत्यु की तर्ज पर देश के दक्षिण में जब एक बूढ़े अभिनेता की राजनैतिक महात्वाकांक्षा हिलोरे
Read Moreआजकल अच्छा आदमी होने और मसीहा होने के बीच जबदस्त मुकाबला देखा जा सकता है ।मुकाबला तो नेता,अच्छे आदमी और
Read More“” आदमी ने कुत्ते को काटा “ सुनने में बड़ा अजीब लगेगा पर सच है। सुबह सवेरें जब मैं घूमने
Read Moreइंग्लैंड के प्रधानमंत्री डिजरायली ने कहा था – ”राजनीति के समान कोई दूसरा जुआ नहीं है।“ इस तर्ज पर कहे
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