बदहाल साल :: व्यंग्य पड़ताल# (पोस्टमार्टम:2016) —–
#बदहाल साल :: व्यंग्य पड़ताल# (पोस्टमार्टम:2016) विनोद कुमार विक्की जो बीत गई सो बात गई लेकिन सच तो ये है
Read More#बदहाल साल :: व्यंग्य पड़ताल# (पोस्टमार्टम:2016) विनोद कुमार विक्की जो बीत गई सो बात गई लेकिन सच तो ये है
Read Moreकहते हैं कि मानो तो देव, नहीं तो पत्थर तो हैं ही। मानिए तो बहुत बड़ी उलझन है, न मानिए,
Read Moreचुनाव नजदीक था I हवा में महासंग्राम कर धुंआ फैल चुका था और वातावरण में उत्तेजना की गर्मी I महाभारत
Read Moreमैं यों ही बाजार की तरफ चला जा रहा था कि सामने से हमारे मौहल्ले का कलुआ आता दिखाई पड़ा।
Read Moreबिहार मे फागुन के उमंग पर जैसे शनि की कुदृष्टि पर चुकी है।एक समय था जब होली मे यहां के
Read Moreबात उन दिनों की है जब पहली बार मैंने वेलेंटाइन डे का नाम सुना था। “वैलेंटाइन डे” का नालेज, मेरे
Read Moreकबीर बाबा बड़े दूरदर्शी थे। वे जानते थे कि आनेवाले ज़माने में भारत वर्ष का यौवन कुछ करे या करे,
Read Moreअब तो पता ही नहीं चलता कि कब मुआ वसंत आया और चला गया। दरवाजे पर, खेतों में, बागों में,
Read Moreएक दिन मैं ऑफिस से कुछ जल्दी घर चला आया। मैंने देखा कि मेरा तेरह वर्षीय बेटा और उसका हमउम्र
Read More