मुक्तक ( प्रेम)
प्रेम कान्हा की मुरली का मधुरिम स्वर है पी गयी गरल मीरा ये प्रेम का ही असर है प्रेम की
Read Moreप्रेम कान्हा की मुरली का मधुरिम स्वर है पी गयी गरल मीरा ये प्रेम का ही असर है प्रेम की
Read Moreफूलों से लदे हरे-भरे नीम की महक दे जाती है मन को सुकून भले ही नीम कड़वा हो | पेड़
Read More‘सॉरी’हाँ यही दो शब्दों की मोहताज थी वो और वो था कि कहना ही नहीं चाह
Read Moreमात भवानी धरा पर आओ, तेरे भक्त पुकारे मां आ जाओ। हर छमाही माता तेरे नवरात्रे आते, पूजा अर्चना से
Read Moreआओ जाने समझे मानव जगत में कौन मानव है जो मजदूर कहलाता है। इस जग में बहा अपना खून पसीना
Read Moreपहली मई ‘अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस’ के बाद मजदूरों के सबसे बड़े हिमायती रहे आदरणीय कार्ल मार्क्स का जन्मदिवस 5 मई
Read Moreअफसोस… जन्मभूमि जर्मनी में ‘कार्ल मार्क्स’ की कोई कद्र नहीं है ! ×××× 2/3 दुनिया को अपने विचारों से प्रभावित
Read More