कल्पना
अभी उम्र वाकी बहुत है प्रिये , तुम न रूठो,अभी ज्योति मेरे नयन में। इधर कल्पना के सपने हम सजाते,
Read Moreजब याद तुम्हारी आती है मन आकुल व्याकुल हो जाता है तुम चांद की शीतल छाया हो तुम प्रेम की
Read Moreधोती हैं, कुरता,गमछे हैं,हम दादाजी के चमचे हैं। जब छड़ी कहीं गुम जाती है,वे छड़ी -छड़ी चिल्लाते हैं।हम ढूंढ -ढाँढ
Read Moreपप्पू के घर में कई दिनों से सबह शाम दाल और सब्ज़ी ही बन रही थी।आज सबका कढ़ी खाने का
Read Moreहमारी पड़ोस में रहने वाले वर्मा जी स्टेट बैंक में मैनेजर थे। सेवा निवृत्त हुए लगभग दस साल हो चुके
Read Moreहमारे गौरवशाली सनातन धर्म में हम सभी का अपनी मिट्टी में लालन-पालन करने वाली पृथ्वी को माँ का दर्जा दिया
Read Moreहे ईश्वर ! अब दया करो , तुम मुझे जन्म दिये हो , मै तेरा अनबुझ बालक हूं , तेरे
Read Moreपालघर पराया लगता अब भारत की माटी में। यही देखना बाकी था ठाकरे की परिपाटी में॥ धरा पर जब रक्षक
Read Moreकोई पिता के नाम से जाने जाते हैं, कोई दादा-परदादा के जमींदाराना ‘स्टेटस’ से पहचाने जाते हैं, किंतु यह पहचान
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