प्रताप का भाला
राणा ने खाई घास की रोटियाँ, शैया जिनकी कंकड़ पर। अरावली की पहाड़ियाँ भी, राणा संग हो गई अमर।। अकबर
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Read Moreअपनी सत्ता बचाने को, विद्रोह का डर मिटाने को, उठती आवाजें दबाने को हुआ था जलियांवाला बाग। कोई न बच
Read Moreबारिश की बौछार बारिश की बूंदे जब धरती से मिल जाती हैं तवे सी गर्म धरती पर तब सुकून की
Read Moreबॉर्डर पर पहुंचा किसान यह देखकर चौक गया हर इंसान। शक नहीं है उसे किसी भी बात पर लेकर रहेगा
Read Moreजाल बिछाया छलिया अहेरी, कहां समझ पाई मैं नन्ही कनेरी? देकर मुझे अधम ने प्रलोभन, छीन लिया मेरा उन्मुक्त गगन।
Read Moreआज मैं बड़े असमंजस में हूँ , सोचती हूँ क्या कहूँ, यही सोच रही हूँ कि हम अभावों को कैसे समझ
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