बलि
कोई रात ऐसी नहीं गुजरती थी, जिस रात उसे स्याह अनुभव ना होता हो। स्याह अनुभव शायद होता नहीं भी
Read Moreपरिस्थितियाँ एक नहीं होतीं, हादसे एक नहीं होते, कोई मर जाता है, कोई जी जाता है, कोई ज़िन्दगी खींच लेता
Read Moreमन के कोरे कागज़ पर लिख दो न अपना नाम पिया ! कैसे बोलूं दिल की बातें तरसे है तुम
Read Moreथमता नहीं है जिन्दगी में, ख्वाहिशों का सिलसिला ! अब तलक है जो मिला… सब कुछ अधूरा ही मिला !!
Read Moreहै धन्यवाद उस पत्थर को जिससे पाँवों ने चोट खायी हैं हृदय में तीखा दर्द उमड़ा है आँखों से बूँदे
Read Moreसोच रही दिल्ली की जनता ,ऐसा हाल हुआ कैसे नहीं पता था निकलेंगे ये ,सारे के सारे ऐसे अब तो
Read Moreमात्रा भार-26 घास पूस लिए बनते छप्पर छांव देखे हैं हाथ-हाथ बने साथ चाह निज गाँव देखे हैं गलियां पगडंडी
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