कविता

आयी है नवप्रभात!

भूतकाल से सबक ले, सुधार अवश्य हो, संकल्प निभायेंगे, प्रतिज्ञा यथार्थ हो, उज्ज्वल भविष्य की दमकती हो सौगात, अलविदा २०२२, आयी है नवप्रभात।। यशोगान, उपलब्धियां बीते साल की, जांबाज वीर शहीदों के बलिदान की, गौरवान्वित हो मां भारतीं का करे गुणगान, चौकस, मुस्तैद सीमा पर हरपल जवान।। हलधर किसान मिट्टी में आशाएं बोये, लहराती, डोलती […]

कविता

बातें अधिकार की!

कर्तव्य कर्म शिद्दत से निभाइए, अधिकार अपने आप ही मिल जाएगा।। जिम्मेदारी में आनंद अनुभूति पाइए, आदर-सम्मान आप ही मिल जाएगा।। नुक्ताचीनी, शिकवा-शिकायत न करिए, जो सुधार औरों से अपेक्षित, आप अपनाइए।। भलाई चाहते हो दुनिया दीगर से गर, खुद बुराई का दामन न कभी थामिए।। गौरव कला, कौशल, ज्ञान भंडार से, जिद, जुनून, हुनर […]

कविता

व्यथा वर्तमान की!

भारतीय संस्कृति, संस्कार, प्रेम, भाईचारा, शिष्टाचार, भुलायें अपने आचार-विचार, टूट रहे हैं संयुक्त परिवार।। ‘मैं’ ‘हम’ से जुदा हो गया, अपने आप में सिमट गया, परवाह नहीं अपनों की भायी, स्वार्थप्रेरित जिंदगी हो गयी।। सुखदुःख के साथी थे, एक दूजे के लिए जीते थे, मुस्कुरातें, खुशियां बांटते, दुःख की घड़ी में हौसला देते।। पाश्चिमात्य अनुकरण […]

कविता

वंदना!

प्रातःस्मरण सृष्टि रचयिता परमेश्वर, करुणासागर, प्रभु परमात्मा का, धन्यवाद दूँ मानव जीवन उपहार, बुद्धिबल, ज्ञान, कौशल वरदान का।।१।। स्मरण करूँ जीवन शिल्पकार, पूजनीय गुरुदेव, माता-पिता का, वन्दन, स्मरण हो शिक्षा-संस्कार, जीव दया, करुणा, धर्मानुराग का।।२।। स्मरण करूँ सहृदयता, मानवता, परोपकारी पुनीत जीवन मूल्यों का, प्रेम, सौहार्द, सद्भाव, सदाचार, मानव जीवन कर्तव्य कर्म का।।३।। स्मरण, वीर […]

सामाजिक

कहाँ चूक गए हम?

कहाँ चूक गए हम?   आधुनिकता के चकाचौंध में, भौतिक सुख साधनों की चमचम में भूल गए हम हमारे संस्कार। आँखों पर बांध पट्टी प्यार की, आफताब से फरेब की, माता-पिता पराये हो गए। क्या हमारी सोच, हमारी विचार शक्ति कुंठित हो गयी हैं? पाश्चात्य संस्कृति का अवलंब करते हम हमारा वेश, हमारा भेष भूल गए […]

बाल कविता

चली रेल, छुक-छुक, छुक-छुक!

छुक-छुक, छुक-छुक, चली रेल, छुक-छुक दौड़ेंगीं, प्रिय सखा हमराह होंगे, मीठी-मीठी बातें होगी।। हंसी-ठिठोली, मौज मस्ती, रंग बहार लाएगी दोस्ती, जीवन सतरंगा हो जाएगा, प्रेम-रस धार बरसेगी।। कोई आये, कोई जाये, पेड़-पौधे, वन मनभाये, ऊंचे परबत, गहरी खाई, करतब करते बंदर तमाशाई।। ले लो मूंगफली नमकीन, गरम वड़ा-पाव लजीज, चना-जोर हैं चटपटा स्वाद, चल दी […]

कविता

बस इतना ही कहना है!

बस इतना ही कहना है, अपने आपसे संकल्प करना हैं।। नटखट बचपन खिलखिलाता रहें, भोर-सा निश्चल, चेतनामयी रहें, उन्मुक्त, उल्लसित, उमंगभरी, मासुम मुस्कुराहट महकती रहें।। बस इतना ही कहना है, मानव जीवन सार्थक बनाना हैं।। जोश, जुनून, जज्बातों से, हुनर, हौसला, हिम्मत से, यश, प्रतिष्ठा, गौरव पाये, लगन, मेहनत, कौशल से।। बस इतना ही कहना […]

कविता

दीपावली पर्व!

अमावस के गहन अंधियारे को, दीपमालाएं जगमग रोशन करे, अंतर्मन के द्वेष, विद्वेष को, सदाचार, सत्धर्म से हम मिटाये।। ह्रदय निर्मल, पावन, पुनीत हो, जीव-दया, करुणा-भाव संजोये, अनाथ, दीन-दुखियारे को, सौहार्द, साहस संबल दे पाये।। गरीबी, लाचारी अभिशाप नहीं, धूप-छाँव किस्मत का खेला, तेजस उजियार, कभी तम गहरा, जीवन हो खुशियों का मेला।। साथ-साथ साथी, […]

मुक्तक/दोहा

सुमंगला नारी!

सपने सतरंगी बुने, आँखों में उल्लास। गौरव, गरिमा देश की, सत्यार्थी विश्वास।। नारी सबला खुद बने, साहस से लबरेज। बाती आलोकित रहे, सूरज-सा हो तेज।। ज्ञानी, कल्याणी बने, कौशल का भंडार। नारी कोमल, मोहिनी, संस्कारी परिवार।। उजली प्रेमिल धूप हो, मंगल, शुभ आचार। शीतल छाया नेह की, घर आँगन उजियार।। अपनी रक्षा खुद करे, आलोकित […]

कविता

हिंदी हमारी प्रिय भाषा!

  हिंदी हमारी प्रिय भाषा, सम्मानित हो राष्ट्रभाषा, हिंदी हमारी बोली हो, हिंदी हमारी शान हो।। ह्रदय पुलक का गुंजन, अपनों से होवे प्रीत-मिलन, सुर, लय, ताल सजे सरगम, मीठी-मीठी वाणी मधुरिम।। एकता का जगाये भाव, प्रेम, भाईचारा और सद्भाव, विभिन्न भाषाओं की रानी, हिंदी भाषा हैं मनमोहिनी।। सहज, सरल, सुगम,सुहाया, अलंकारिक रूप मन भाया, शब्द […]