रावण कंसो का गुणगान….
रावण कंसो का गुणगान धरा पर जब जब होता है। धर्म कर्म जग में जब जब मर्यादा अपनी खोता है॥
Read Moreरावण कंसो का गुणगान धरा पर जब जब होता है। धर्म कर्म जग में जब जब मर्यादा अपनी खोता है॥
Read Moreखुदगर्ज दुनियां में, उसुलों की बात ना कर। खिजा के वक्त में, मुस्काते गुलों की बात ना कर॥ प्रतिभाओं के
Read Moreदफन हया है, तार तार मर्यादा है। हर कोई दानवता पर आमादा है॥ जानें दौलत का, ये कैसा नशा चढा।
Read Moreमेरे वादे मुझे याद हैं हमसफर, तेरे वादे तुझे याद हों कि ना हो। तुमको दिल में बसाया है दिल
Read Moreमां मुझे फिर फिर गोद में अपनी सुला लो प्यार से सर हाथ फेरो और बला लो। डर मुझे लगने
Read Moreदूर तक जहां भी जाती है नजर एक सूना सा मंजर आता है नजर… वीरान सी गलियां है, हर आंगन
Read Moreआ तुझे पलना झुलाऊं लाडले तुझको सीने से लगाऊं लाडले। मेरे बिन तुझको नही आयेगी नींद आ तुझे लोरी सुनाऊं
Read Moreसब से मिलता है, अजनबी की तरहा। आदमी हो गया, खुशी की तरहा॥ अब कोई अपना सा, नही लगता बेवफा
Read Moreसोने का नही है समय, जागो जागो नौजवान अस्मत खतरे मैं है, संज्ञान लीजिए । बंद कर मुट्ठियां, उठाओ हाथ
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