ग़ज़ल
मैं हूं मुजरिम तो मुझे हक से सजाएँ दे दो वर्ना बाहों मे अपनी मुझको पनाहें दे दो। बाद मरने
Read Moreमुझे …….अफसोस रहेगा । जिदंगीयों को, अंधविश्वासों से दूर ले जाता । प्यार से जिंदगी है। यह बात समझा पाता।
Read Moreलड़ रहा एक लड़ाई रोज़ खुद ही से मैं इस तरह मौन हूँ पर भीतर शोर का सैलाब नज़र आता
Read Moreएक कालखंड हमें अनुशिक्षित कर रहा जो था पुरातन उसे अनुशंसित कर रहा त्यागना होगा जो है पश्चिम से मिला
Read Moreशीशे सा दिल मेरा तोड़ दिया,अब तो खुश हो ना। अश्कों से मेरा रिश्ता जोड़ दिया, अब तो खुश हो
Read Moreअफवाहों से ध्यान हटाना होगा जागरूकता की ओर जाना होगा यह एक से होने वाला नहीं साथी मिलकर कदम बढ़ाना
Read Moreअम्मा प्रणाम। जब तक तुम मेरे साथ रही तब तक मुझे मदर्स डे की जानकारी नहीं थी। तुमने 2010 में देह
Read More45 दिनों की सख्त तालाबंदी को महज एक दिन में ध्वस्त कर लिया । सोशल डिसटैन्सिंग का मखोल बना दिया। यह कैसा दोगलापन है । पहले कोरोना योद्धाओ
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