Month: October 2014

सामाजिक

प्रायश्चित और ध्यान-परिवर्तन द्वारा संभव है धूम्रपान से मुक्ति

अपनी आत्मकथा के पहले भाग के ‘‘चोरी और प्रायश्चित’’ खण्ड में गाँधीजी लिखते हैं, ‘‘अपने एक रिश्तेदार के साथ मुझे

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेदों का अध्ययन, आचरण व प्रचार सब मनुष्यों का परम धर्म

महर्षि दयानन्द निर्वाणोत्सव पर श्रद्धांजलि आज संसार के लगभग 7 अरब लोग अनेक मत मतान्तरों के अनुयायी हैं। सब मतों

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