शारीरिक हाव भाव और मानव का स्वभाव और प्रवृत्ति
अक्सर कहा जाता है कि सच या झूठ इन्सान के चेहरे से नहीं पहचाना जा सकता है। किसी के चेहरे
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Read Moreसमय की कसौटी बीता समय पंख लगा, क्षितिज में समाया है, और हम कर रहे समीक्षा, हमने क्या खोया क्या
Read Moreराधे लाल जी ने एक पल के लिए भी नही सोचा था कि उनको बिना लाठी की मार खानी पड़ेगी
Read Moreवास्तव में आपकी जो छवि मीडिया पेश करती है, लोगों की नजरों में आप वैसे ही बन जाते हैं! अधिकतर
Read Moreजहां हमारा मन जाकर बार-बार अटक जाता है, मन को कुछ खोने का डर और मिलने की आस लगी रहती
Read Moreकोमल तन कमल नयनों वाले चितचोर बृज के नटखट ग्वाले प्रेम का रस बरसाने वाले राधा का मन भाने वाले
Read Moreतुम्हारी चेतना के ध्यान कक्ष में मेरी सघन नीरवता की है गूँज तुम्हारे मन की आँखों के समक्ष कभी
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