कविता

कैसे हो क्या हाल है?

आज जिस इंसान से भी पूछो,

“कैसे हो क्या हाल है”,

जवाब एक ही है…

बस कट रही है, बस गुजर रही है,

वक़्त बीत रहा है, बस जी रहें हैं ,

और जीना सभी चाहते हैं ,

मरना कोई नहीं,

मौत के नाम से भी डर लगता है,

फिर भी… ज़िंदगी कोई नहीं जीता….

बस मर मर कर जीते है लोग…

क्यों…

भगवान के इस अनमोल जीवन दान को

क्यों भूल जाते हैं लोग,

भाग्यवान हैं हम,

सबसे सर्वश्रेष्ठ योनि में जन्म पाया है..

विकसित दिमाग है, , चंचल मन है,

प्यार भरा दिल है,.क्रियाशील तन है

यह तो प्रभु के उपकार का अपमान है…

जिओ, और ऐसे जिओ.. जैसे सब तुम्हारा है…

यह ज़िंदगी प्रभु का वरदान है, एक उपहार है

दुःख न हो कभी तो सुख को न जान पाओगे,

आंसू कभी न आएं तो हंसी का मोल न समझ पाओगे,

आओ सब गमो को भूल कर , ख़ुशी से जीना सीख लो,

रोज़ मर मर के जीने से,अब  हंस हंस कर जीना सीख लो.

जो प्रभु को याद कर नियम से अपना जीवन जीता है,

ज़िंदगी से कभी हारता नहीं, हर बाज़ी में वह जीता है,

—-जय प्रकाश भाटिया 

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845