इस प्यार की धरा का
इस प्यार की धरा का, सावन सरस बनों तुम। हर बूंद से निकलता, बस प्रेम रस बनों तुम।। पलकें बिछाऊं
Read Moreइस प्यार की धरा का, सावन सरस बनों तुम। हर बूंद से निकलता, बस प्रेम रस बनों तुम।। पलकें बिछाऊं
Read Moreजिन्दगी खामोश है ठहर सी गई है, रंगमंच खाली पड़ा है, वक्त यूंही निकल रहा है, मेरी कलम नहीं ठहरी
Read Moreचकाचौंध का इंद्रजाल लोभी जीभ के खातिर अँधेरी राहों को चुन कर शादी के बंधन का मजाक उड़ा कई पतियों
Read Moreमुद्दत बाद गुजरा हूँ तेरी गली से इल्म है की तुम्हें न देख पाउँगा। फिर भी एक उम्मीद है कि
Read Moreओ३म् हिन्दू समाज आज कल अन्धविश्वासों का पर्याय बन गया है। श्राद्ध शब्द को पढ़कर धर्म-कर्म में रूचि न रखने
Read Moreपल में मिलते हैं गले, पल में लातम लात। राजनीति के खेल में, हर पल होती घात।। लूट रहे है
Read Moreयों तो डॉक्टर साहब का सुपुत्र पी.एम.टी. की तैयारी कर रहा है, किन्तु एक सप्ताह से दाढ़ के दर्द से परेशान
Read Moreदीपावली समारोह श्रीमती जी के आॅपरेशन के बाद जो दीपावली आयी, वह हमने पंचकूला में ही मनाना तय किया। सूरत
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