प्रकृति की अव्यवस्था पर एक नज़र
पृथ्वी पर कोई भी जीव एकल जीवन व्यतीत नहीं कर सकता है इसलिए मानव और प्रकृति की परस्पर आत्मनिर्भरता एवं
Read Moreपृथ्वी पर कोई भी जीव एकल जीवन व्यतीत नहीं कर सकता है इसलिए मानव और प्रकृति की परस्पर आत्मनिर्भरता एवं
Read Moreएक ही दिशा में बढ़ना समय की फितरत है, हम साथ चल दिए तो ठीक वरना, समय हमें पीछे छोड़
Read Moreआज बैठ गयी हूँ लिखने कुछ कविता कुछ कहानी नही मिलते शब्द तो क्या लिखूँ बात पुरानी प्यार की भाषा
Read Moreक्यो पुछते हो मुझसे मेरी हालातो के विषय में जब तुम्हे सुन कर चुप ही हो जाना है इससे बेहतर
Read Moreहाय! यह कैसी रीत है जग की गुनाहगार मस्ती में घुम रहें बेगुनाहगार सजा भुगत रहें जिसे समझते हो तुम
Read Moreकूँहू कूँहू कर कोयल कूँहूके आम के डाल पर बैठे रहती कितनी प्यारी बोली इसकी सभी को मंत्रमुग्ध कर देती
Read Moreओ३म् विस्मृत व्यक्तित्व स्वामी लक्ष्मणानन्द जी ने स्वामी दयानन्द की अमृतसर यात्रा में उनसे योग सीखा था और उसके बाद
Read More” बहन जी , हम इस लायक नहीं है की आपकी हैसियत के हिसाब से शादी कर सकें …हमारी
Read Moreखुश नही रहता वो कभी, बांधे फिरता है जो, गठरी उम्मीदों की, साथ वक़्त के ये, बढ़ती जाती है, होती
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