“कुंडलिया”
महिमा माँ की पावनी, गई शरद ऋतु आय नव रजनी नव शक्ति की, नव दुर्गा हरषाय नव दुर्गा हरषाय, धरे
Read Moreमहिमा माँ की पावनी, गई शरद ऋतु आय नव रजनी नव शक्ति की, नव दुर्गा हरषाय नव दुर्गा हरषाय, धरे
Read Moreआज जय भीम, जय मीम का नारा लगाने वाले दलित भाइयों को आज के कुछ राजनेता कठपुतली के समान प्रयोग
Read More(सलमान खान द्वारा पाकिस्तानी कलाकारों के समर्थन पर जवाब देती मेरी नई कविता) सलामत तुम रहो, हमने तुम्हें सलमान समझा
Read Moreसुबह उठ कर तैयार हुए और ब्रेकफास्ट के लिए डाइनिंग रूम में आ गए। ब्रेकफास्ट हमेशा सैल्फ सर्विस ही होती
Read Moreआज बिन मौसम की जिद्दी बारिश,बरसी है मेरे आँगन में ……… भिगो गयी सब कुछ…अंदर -बाहर..कुछ न बचा, अब सूखा
Read Moreनैनों से दर्द का सावन बरसता रहा। दिल उससे मिलने को तरसता रहा। उसका दिया हर जख्म हँस के सहा,
Read Moreलहू लुहान है माँ का आँचल ,दाग बड़े ही गहरे हैं किससे अब फरियाद करें? नेता सब गूंगे बहरे हैं
Read Moreफिर वही नापाक हरकत फिर मिटी इंसानियत नाम पर आखिर धरम के कब तलक ये वहशियत किस धरम ने दी
Read Moreमैं दीया हूँ, रात भर टिमटिमाता रहा हूँ, जलाकर तेल औ’ बाती, तम मिटाता रहा हूँ जानता हूँ कुछ पल
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