कविता

कविता : गीली लकड़ी

कर खुद को…
नज़रों से ओझल
क्या दिल से दूर हो जाओगे ?
पाओगे जब…
खुद को तन्हा,
संग अपने मुझको पाओगे ! !

तेरे प्रेम की खुशबू में लिपटी
बिन तेरे सुलगूँ, लकड़ी की तरह
अतीत की यादें…
जब सुलगाएगी मुझको
खुश क्या तुम तब रह पाओगे ?

कुर्बानी दे जज्बातों की,
तन्हाई का आँचल पाओगे !
गीली लकड़ी…
सुलगे जैसे
सुलगते खुद भी रह जाओगे ! !

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed