कविता

कविता : भगवान

राम के भी राम के स्वरूप हैं अनेक राम धरि रूप भूतल पर आये अनेक है ।।
ईसा मूसा नानक मोहम्मद कबीर सभी एकता के सूत्र मे बांधने को राम है।।
राम के सपूत सारे जग मे बिखर गए भाषा के निशान से बनाये कई राम हैं।।
राम,गॉड,अल्लाह,कलम,पेंन,लेखनी सम बस्तु एक पर भाषा मे अनेक हैं।।
मानव होके मानव का अर्थ जाने न करत लड़ाई धर्म हित जूझि जूझि है।।
भू,गगन,वायु,अग्नि,नीर मिलि पञ्च तत्व भगवान रूप हर मानव स्वरूप है।।
कभी नही पूजते हैं मानव स्वरूप को बनाये ऐसी तुच्छ बस्तु जैसे कोई हेय हो।।
मान मर्यादा का रहा न कोइ ओर छोर मानव को मानव देखात जैसे भेंड़ हो ।।
सारा ब्रम्हांड विद्यमान है शरीर मे ही आदि शक्ति सोई रोम रोम मे जगाइए ।।
कर कल्याण प्राणी मात्र औ समाज का मानव से मानव महामानव बन जाइए ।।

जय प्रकाश शुक्ल

डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

एम ए (हिन्दी) शिक्षा विशारद आयुर्वेद रत्न यू एल सी जन्मतिथि 06 /10/1969 अध्यक्ष:- हवज्ञाम जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश भारत "रोजगार सृजन प्रशिक्षण" वेरोजगारी उन्मूलन सदस्यता अभियान सेमरहा,पोस्ट उधौली ,बाराबंकी उप्र पिन 225412 mob.no.9984540372