व्यंग्य : राष्ट्रीय एकता और चाय
मैं एक असामाजिक-तत्व हूँ, क्योंकि न शराब पीता हूँ और ना ही चाय। चार लोगों में बैठने लायक आदमी नहीं
Read Moreमैं एक असामाजिक-तत्व हूँ, क्योंकि न शराब पीता हूँ और ना ही चाय। चार लोगों में बैठने लायक आदमी नहीं
Read Moreइस समय रात के दो बज रहे हैं और पिछले एक घंटे से एक कीड़ा लगातार मुझे काट रहा है-
Read Moreचलो कहीं बैठें, कुछ गायें. थोड़ा सा ख़ुद से बतियायें. इस चक्कर में उस चक्कर में. कितना भटके रोज़ सफ़र
Read Moreदो गीत लिखे थे यौवन में एक मिलन कथा एक विरह व्यथा एक गीत अधूरा छूट गया एक लिखते-लिखते हार
Read Moreओ३म् क्या हम अपने आप और अपने जन्मदाता को जानते हैं। हमें लगता है कि संसार के 99 प्रतिशत लोग
Read Moreओ३म् मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। जो मनुष्य योनि में जन्म लेकर भी मनन नहीं करता और परम्परागत विचारधारा
Read Moreकेंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने मुंबई में बयान दिया है – “किसानों की कर्ज़ माफ़ी फ़ैशन हो गया
Read More1. कर्म पे डटा कभी नहीं थकता फ़ौजी-किसान! 2. किसान हारे ख़ुदकुशी करते, बेबस सारे! 3. सत्ता बेशर्म राजनीति करती,
Read More