कविता

हिन्दुस्तान

नदिया, घाटी, हरे मैदान
ऊंचे हैं पर्वत, सुनहरा रेगिस्तान
झीलें, सागर, है मेहनती किसान
प्रगति में पीछे क्यों हिन्दुस्तान ।।

सूरज की रोशनी है भरपूर
मौसम और ऋतुएं भी हैं अनुकूल
जलवायु भी है हमारी आलीशान
प्रगति में पीछे क्यों हिन्दुस्तान ।।

पर्यटन स्थल हैं विश्व विख्यात
रेलों और मेलों का सुंदर मिलाप
मंदिर, गुरुद्वारे, अनेकों तीर्थस्थान
प्रगति में पीछे क्यों हिन्दुस्तान।।

डाक्टर, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री
उद्योगपति भी हैं पुरुषार्थी
प्रौद्योगिकी में हैं, विश्व कीर्तिमान
प्रगति में पीछे क्यों हिन्दुस्तान।।

संस्कृति,संस्कार की विरासत बड़ी
उपलब्धियां की है लम्बी लड़ी
योग, प्राणायाम, नित करते ध्यान
प्रगति में पीछे क्यों हिन्दुस्तान।।

चाहत पक्की है, दृढ़ इच्छाशक्ति है
सुदूर दृष्टि है, कर्म ही भक्ति है
है सब कुछ पता,और पूरा है ज्ञान
प्रगति में पीछे क्यों हिन्दुस्तान।।

इतिहास हमारा है गौरवशाली
वीरों की धरती, जहां से निराली
है मजबूत लोकतंत्र, सुंदर विधान
प्रगति में पीछे क्यों हिन्दुस्तान।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई