तुम्हारा चले जाना…..
सोच रहा मन अकेलेपन की तन्हाईयों में कल और आज में कितना फर्क है कल तक जो मुहब्बत का दम
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Read Moreअनजान बेचैनियों में लिपटे, मेरे ये इन्तज़ार लम्हें तुम्हें आवाज़ देना चाहते हैं.. पर मेरा मन सहम जाता है ।
Read Moreपरखा जो खुद को तो हाशिये के उस ओर पाया, केंद्रबिंदु समझा खुद को; पर धुरी के नीचे दबा पाया।।
Read Moreएक वक्त पे उड़ाया था कीचड़ मैंने भी, तुमने भी मुझपर गिराया था बहुत सारा। आज राहे मुहब्बत क़दम बढ़ाया
Read Moreप्रकृति ने दिया है भरपूर कभी किया नहीं संचित जितना जो ग्रहण कर सके दिया बिना भेदभाव किये बांट देती
Read Moreनन्ही परी! मेरी नन्ही सी परी है वो सोने सी खरी है मासूम है अंजान भय का नहीं ज्ञान बस
Read Moreधोखा मिला सहारा मिला डूबते हुए को किनारा मिला हँसना हुआ रोना कभी मिलना हुआ बिछड़े कभी सफलता मिली शून्य
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