लगन : एक संस्मरण
मैं दोपहर में नहीं सोती,क्यों कि सोने के लिए रात काफी होती है ! अगर कभी मैं दिन में सो
Read Moreमैं दोपहर में नहीं सोती,क्यों कि सोने के लिए रात काफी होती है ! अगर कभी मैं दिन में सो
Read Moreजालंधर से आ कर आते ही हम सो गए और ग्यारह बारह बजे उठे । दूसरे कमरों के लड़के अपने
Read Moreस्कूल हम। रोजाना जाते थे और सारे टीचर जी जान से हम को पढ़ा रहे थे। विद्या प्रकाश हमारा स्ट्रैस
Read Moreलछू के ढाबे में बैठे एक लड़के ने बताया था कि किराए का कमरा हमें चाना बिल्डिंग में मिल सकता
Read Moreजीवन के किस मोड़ पर क्या घटना घटित हो जाये, इस पर मनुष्य का कोई बस नहीं चलता। 28/07/15 को
Read Moreॐ नमः शिवाय सावन की सोमवारी का बहुत महत्व होता है बोलते बम कटते जाते तम आस में हम भाभी
Read Moreकैंप से वापस आ कर हम ने फिर से स्कूल जाना शुरू कर दिया। फगवारे जाना हमें बहुत अच्छा लगता
Read Moreकुछ ही दिनों में कैंप में हम ऐसे रहने लगे थे जैसे बहुत देर से यहां रह रहे हों। राकेश
Read Moreनौवीं की परीक्षा के बाद कुछ महीने गाँव में गुज़ार कर हम फिर से स्कूल जाने लगे क्योंकि स्कूल खुल गए
Read Moreयह चोरी की घटना से हम कुछ डर गए थे क्योंकि उस कुल्हाड़ी से अगर किसी की टांग काट जाती
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