बन्दर का नाच
दफ्तर से निकल कर निखिल टहलते हुए बस स्टैंड की तरफ चल दिया। बस के आने में अभी समय था।
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Read Moreवह कौन था ? जिसे हमने प्रत्यक्ष अपनी नजरों से देखा ,विश्वास नही होता की क्या ये सत्य है अथवा
Read Moreराहुल ने कहना जारी रखा ” हाँ ! तो मैं कह रहा था कि अब हमें अपने साथ घटने वाली
Read Moreछमाही की परीक्षा समाप्त हो चुकी थी.सभी को पढाई से कुछ दिन का छुटकारा मिल गया था . क्योकि विश्वविद्यालय
Read Moreखट खट खट! राधा देखो कोई आया है?राधा ने गिलास को मेज पर टिका दिया और स्वयम दरवाजे की और
Read Moreआज शेठ ब्रिजलाल के बेटी की शादी थी । हजारों अन्य लोगों के साथ अमर और रजनी भी इस शादी
Read Moreराहुल को घर छोड़ कर भागे हुए आज पांचवां दिन था । विनोद अपने बाबूजी के साथ आज फिर पुलिस
Read More10 अप्रेल, 2013 को मैंने नवभारत टाइम्स में अपने ब्लाॅग पर एक लेख डाला, जिसका शीर्षक था- ‘हिन्दू होने का
Read Moreफिर वहीँ स्टेशन, वही रेल, वही पतली पट्टी वाली लोहे की डगर। चढ़ते उतरते धक्का मुक्की करती पसीने की कमाई
Read Moreसीमा के हाथ से चाय का कप क्या छुट कर गीरा घर में तुफान आ गया । उसकी सास कमला
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