राही
वह फूलों के मेले देखता-गाता-गुनगुनाता चला जा रहा था और झमेले को भुलाने की कोशिश कर रहा था- ”यूं ही
Read Moreघर में अचानक मेहमान आ जाने के कारण माँ जी राशन लेने बाजार गई थी। सालों बाद भी लोगों ने
Read Moreअनुज स्नेह। सात रंग मन में समाए हुए गत वर्ष जब पीहर में तुम्हारी कलाई पर राखी सजाई थी तो
Read Moreअक्सर सुबह-सुबह वह रेडियो पर सुनता रहता था- ”सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने
Read Moreप्यार और स्वार्थ कुछ महीनों से छवि और निलय आर्थिक तंगी के बुरे दौर से गुजर रहे थे | हर
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