माटी की बन्नो
“अम्मा, तुम बहुत गन्दी हो , रोज़ तड़के ही उठा देती हो फिर पढ़ने बिठा देती हो| घर के कार्यों
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Read Moreआठ वर्ष का प्यारा सा, भोला सा चन्दन भी उन बच्चों के बीच आचार्य जी से संगीत सीखना चाहता था !
Read Moreछलक जाती हैं मेरी आँखें तुम्हें जाते हुए देखकर, अब कब आओगे सहम जाती हूँ सिर्फ यही सोचकर. अगले ही पल
Read Moreशरीर कई दिन से टाइफाइड से निढाल था। तेज ज्वर से तपती मैं पति के आने का इंतज़ार कर रही
Read Moreखासी लोककथा (मेघालय ) कुत्ता और मनुष्य के साथ रहने की कथा प्राचीनकाल में सभी प्राणी एक साथ रहते थे
Read Moreसर्दियों की गुनगुनी धूप की सुहानी वेला थी. रोज़ की तरह रमा आज भी अपने स्वीमिंग पूल के किनारे रखी
Read Moreआफिस में बैठा, मैं देश के प्रतिष्ठित सरकारी इंजिनियरिंग कालेज में शिक्षक पद पर हुआ मेरा नियुक्ति पत्र पढ ही
Read More“अरे मम्मीजी आपको कुछ चाहिए था तो मुझे आवाज दे देंती, डाक्टर ने आपको आराम करने को बोला है,चलिये आप
Read Moreहिंदी साहित्य डेढ़ सौ रूपये किलो का बैनर देख एक व्यक्ति दुकानदार से बोला “परशुराम जी की किताब मिलेगी क्या
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