कहानी – कर भला तो हो भला
पेशे से महेशजी छोटे से एक कस्बे के सरकारी विद्यालय में अध्यापक थे। विद्यालय की दूरी घर से लगभग 20
Read Moreपेशे से महेशजी छोटे से एक कस्बे के सरकारी विद्यालय में अध्यापक थे। विद्यालय की दूरी घर से लगभग 20
Read More” शीला मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र हो रही है,और होगी भी क्यों नहीं; उन्तीस बरस
Read Moreगांव का नाम भी कुछ ऐसा जो सुनने में भी अजीब सा लगता था।छोटी छोटी पहाड़ियों की टेकरी पर स्थित
Read Moreकहानी ड्यूटी और संतुष्टि रमेश कुमार बचपन से ही प्रतिभाशाली था। वह बड़ा होकर सेना या पुलिस विभाग में उच्च
Read More“पता नहीं इन मर्दों की अक्ल कब ठिकाने आएगी,कब तक वे अपनी पत्नियों को गुलाम समझते रहेंगे । युग बदलता
Read Moreछोटी सी दुनिया में गुजर -वशर करने वाला सुरेश आज अपने बेटे राजू को इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला करवाने पहुंचा
Read Moreचंडीगढ़ के एक ओल्ड एज होम में मास्टर प्रभात को अपनी जिंदगी की शाम के यह अंधेरे गुमनाम दिन काटते
Read Moreसुबह से ही फोन घनघना रहे थे।निशा फोन पर बातें करते -करते जैसे थक सी गई थी।सारे नाते-रिश्तेदारों के फोन
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