कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

एक साल पूरा हुआ, सेवक बने प्रधान। बता रहें कर रैलियाँ, अपना मेगा प्लान। अपना मेगा प्लान, अभी क्या करना बाकी। और चाहिए वक्त, नशा चढ़ने में साकी। कह ‘पूतू’ कविराय, साफ करते हैं कूड़ा। गिना रहें उपलब्धि, हुआ एक साल पूरा॥

कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

रोहित शर्मा ने किया, अबकी बड़ा कमाल। आई.पी.एल.जीतकर, जमकर हुआ धमाल। जमकर हुआ धमाल, चेन्नई की गति रोका। धोनी थे लाचार, नहीं फिर उसको टोका। कह ‘पूतू’ कविराय, खेल से है उर मोहित। माने जीत खिताब, बने जो कैप्टन रोहित॥

कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

  गुर्जर आंदोलन बड़ा, आरक्षण का नाम। रेल ट्रैक अरु हाइवे, किया उन्होंने जाम। किया उन्होंने जाम, अड़े ले माँगें अपनी। जनता है बेहाल, असुविधा झेले कितनी। कह ‘पूतू’ कविराय, बहा दो सुविधा निर्झर। कर दें तत्काल, खत्म आंदोलन गुर्जर॥ पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’

कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

लालू यादव ने किया, पैदा जो टकरार। खंडित सा दिखने लगा, अब जनता परिवार। अब जनता परिवार, मुसीबत दिखती ऐसी। बाँट रहे हैं सीट, छिड़ी पर बकझक कैसी? कह ‘पूतू’ कविराय, नचाएंगे ज्यों भालू। माँझी की कर माँग, जाल फेंके हैं लालू॥  

कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

रहे सियासत जातिगत,बंधन से गर मुक्त। विकसित अपना राष्ट्र हो,अरु खुशहाली युक्त। अरु खुशहाली युक्त,देश का हर जन होवे। खाकर रोटी-दाल,चैन से घर में सोवे। कह ‘पूतू’ कविराय,हृदय में जो भी धारत। उत्तम है संदेश,स्वस्थ हो तुरत सियासत॥ — पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’

कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

नंबर वन फिर से हुईं, साइना नेहवाल। एक साल में कर चुकी, हैट्रिक दफा कमाल। हैट्रिक दफा कमाल, गर्व से ऊँचा है सर। भारत का जो नाम, दिखाया है जग में कर। कह ‘पूतू’ कविराय, झुके कदमों में अंबर। मिले हमेशा जीत, रहो हरदम वन नंबर॥

कविता कुण्डली/छंद

पत्नी वृतांत

पत्नी ने झट से कहा लाओ सौतन एक , नहीं द्वेष मन मे मेरे रखो चाहे अनेक , रखो चाहे अनेक नहीं एतराज हैं मनमे कान्हा बनकर रास रचाओ मेरे मन में १ एक कान्हा हज़ार गोपिका बाँसुरी तेरी प्यारी आकर्षण कान्हा तेरे में खिंच जाती थी सारी, खिंच जाती थी सारी आज एक राधिका […]

कुण्डली/छंद

कुंडलियाँ छंद

  निर्भर जो खुद पर रहे, मिले उसे पहचान। आस पराई जो करे, छोड़े उसे जहान। छोड़े उसे जहान, और वो दर-दर भटके। जीवन बन संत्रास, उसे फिर हर पल खटके। कह ‘पूतू’ कविराय, रहो घर अथवा बाहर। बैशाखी को छोड़, स्वयं पर रहना निर्भर॥1॥ नारी अपनी शक्ति को, अगर स्वयं ले जान। उसको इस […]

कुण्डली/छंद

कुंडली : ओलों की बरसात

ओलों की बरसात से फसल हुई है नष्ट          देख फसल की दुर्दशा बहुत हुआ है कष्ट बहुत हुआ है कष्ट सोचता कृषक बिचारा , बिना कनक के भगवन कैसे होय गुजारा कुछ दमड़ी दे बैंक ने भेजी है सौगात कैसी दे गई टीस ये ओलों की बरसात   लता यादव

कुण्डली/छंद

कुंडलियाँ

१ कठिनाई के सामने, झुके न जिनके माथ। जोड़े हैं उनको सदा, क़िस्मत ने भी हाथ।। क़िस्मत ने भी हाथ, बढ़ाकर दिया सहारा मंज़िल ने ख़ुद राह, दिखाकर उन्हें पुकारा खिले ख़ुशी के फूल, सरस बगिया मुस्काई सदा हुई निर्मूल, टिकी है कब कठिनाई ।। २ मिलता कब किसको यहाँ, केवल सुख उपहार ग्रीष्म, शीत, […]