हरि गीतिका छंद
तुझसे लगाई प्रीत मैंने, झाँक तो अंतर प्रिये। हूँ ख्वाब तेरी आँख का मैं, हूँ नहीं कंकर प्रिये । थामा
Read Moreतुझसे लगाई प्रीत मैंने, झाँक तो अंतर प्रिये। हूँ ख्वाब तेरी आँख का मैं, हूँ नहीं कंकर प्रिये । थामा
Read More(1) वृन्दावन अरु अवध में, ऐसे संत विरक्त, उनके चरण सरोज रज, मस्तक धारे भक्त | मस्तक धारे भक्त, भेद
Read More1.) कुण्डलिया के छंद में कुण्डलिया के छंद में, कहता हूँ मैं बात अंत समय तक ही चले, यह प्यारी
Read More1. हमने देखा आज फिर, अपना मौन टटोल। एकाकीपन के वहाँ, मिले फटे कुछ ढोल॥ मिले फटे कुछ ढोल और
Read Moreकुंडलियाँ छंद – ________ 1. फूले सुधड़ गुलाब ये , काँटों के ही संग | मुश्किल पर जब जीत हो
Read Moreखुशियां होठो पर मुस्काएं, मन अनंत उदगारित हो। हर अभिलाषा पूरित हो, और कर्म समय से कारित हो। धन वैभव
Read Moreगाँधी वाले राष्ट्र में, जलती नफरत आग। नेता खंडित कर रहे, आपस का अनुराग। आपस का अनुराग, सियासत को जो
Read Moreलाठी हाथ मे लीजिए, बड़े काम की चीज़ देखि के दुश्मन भी डरें, रहे हाथ को मीज रहे हाथ को
Read Moreमक्का हज करने गए, कई लाख जो लोग। अल्ला कैसे हो गया, दुखद बड़ा संयोग। दुखद बड़ा संयोग, मची
Read Moreराम राम मन में बसे, राम नाम में लीन । और कछु सूझत नहीं, मन प्रभु के आधीन ।।
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