गजल
उम्र दर उम्र यूं रह – नुमाई करो | उम्र दर उम्र से आशनाई करो | उम्र दर उम्र का
Read Moreदुनियाँ के सफ़र में है हयात मुसाफ़िर भटक रही यहां पर है किसकी खातिर एक राह है आने की जाने
Read Moreसफर कितना लम्बा है ये न कहो दोस्तों। मंजिल कितनी हसीन है ये सोचो दोस्तों। ये पथरीले रास्ते सब आसान
Read Moreकभी दश्त में हूँ, कभी राहे गुलजार में हूँ। सूखा पत्ता हूँ, इन हवाओं के ईख्त्यार में हूँ। ये न
Read Moreरहते हो पास में तुम, परदेस के मेले में होते न हो कभी गुम, परदेस के मेले में रोली, न
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