गज़ल
कैसे बचे कोई तेरे इस हुस्न-ए-बेमिसाल से दूर रह के भी नहीं हटते हो तुम ख्याल से साँसें जप रही
Read Moreबरगद की तरह अगाध प्रेम है उन पक्षियों में बसाया है जिन्होंने खुल के अपनी बस्तियों में स्वछन्द विचरण करने
Read Moreनजरें तुम्हारी गलत हैं और पहनावा मेरा गलत बताते हो, करते हो गुनाह तुम और गुनाह का दोषी मुझे ठहराते
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