“गीतिका”
जगमग अवली दीप हमारे सुंदर साख प्रदीप हमारे अनुपम पुंज प्रकाश पर्व यह रोशन चित नवदीप हमारे।। चाँद छुपा है
Read Moreकर्म पर जब से मुझे विश्वास करना आ गया हार में भी जीत का आभास करना आ गया ज़िन्दगी भी
Read Moreजब स्वयं के अवगुणो पर ध्यान धरना आ गया दूसरों की बात का सम्मान करना आ गया गरदिशों के दौर
Read Moreकिये वादे हमेशा लोग करके भूल जाते हैं बहुत मसरूफियत है लोग सजदे भूल जाते हैं मिला है जख्म जिसको
Read Moreजो बिताया फ़जूल में हिसाब माँगेगा वक्त हर हाल एक दिन जवाब माँगेगा इस जमानें को सिर्फ ख़ार ही दिये
Read Moreतुमने जब आना जाना छोड़ दिया मैंने भी मुस्कुराना छोड़ दिया पहले मिलता जुलता था लोगों से अब तो मिलना
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