मनुष्य ही है जो कभी रुका नहीं
मनुष्य ही है जो कभी रुका नहीं. पर्वत रुक गये आगे बढ़े नहीं समुंदर भी आसमान चढ़े नहीं हवाएँ भी
Read Moreमनुष्य ही है जो कभी रुका नहीं. पर्वत रुक गये आगे बढ़े नहीं समुंदर भी आसमान चढ़े नहीं हवाएँ भी
Read More( रचना में समाविष्ट मान्यवरों से क्षमायाचना सहित पेश है होली के कुछ रंग ) जोगीरा सा रा रा रा
Read Moreजय जय जय हे मात भवानी पुस्तक धारिणि देवी ब्रह्माणी- 1.सात सुरों की निर्झर वाहिनि कैसे तुझको पाएं अज्ञानी-
Read Moreहम सब नन्हे बच्चे मिलकर वृक्ष उगाते जाएंगे वन-महोत्सव आज मनाकर, वृक्ष की महिमा गाएंगे वन हों ज़िंदाबाद, वन हों
Read Moreतू ही हमें है जन्म देता,
Read Moreनए साल में भगवन हमको, नया-नया गुण देना
Read Moreअगस्त क्रांति के बलिदानी को, शत-शत कोटि प्रणाम स्वतंत्रता के अभिमानी को, शत-शत कोटि प्रणाम हमारा शत-शत कोटि प्रणाम-
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