गीत/नवगीत

गीत/नवगीतपद्य साहित्य

सृष्टि की रचना होती है

नारी उर में, दीप सजाती, नर बिखराता ज्योती है। प्रकृति-पुरुष के सम्मिलन से, सृष्टि की रचना होती है।। भिन्न प्रकृति

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