हे बसंत !
वन-उपवन में तू बिखरा है,सचमुच तुझ पर यौवन है ! अमराई, सरसों,पलाश पर,तुझसे ही तो जीवन है !! बहता है
Read Moreप्रेम मन की आशा है, करता दूर निराशा है, चन्द शब्दों में कहें तो, प्रेम जीवन की परिभाषा है. प्रेम
Read Moreहै प्रेम से जग प्यारा, सुंदर है सुहाना है जिस ओर नज़र जाए, बस प्रेम-तराना है- बादल का सागर से,
Read Moreप्रेम मन की आशा है, करता दूर निराशा है, चन्द शब्दों में कहें तो, प्रेम जीवन की परिभाषा है. प्रेम
Read Moreदेवी नहीं, मानवी ही समझो, देवी कहकर बहुत ठगा है। बेटी, बहिन, पत्नी, माता का, हर पल नर को प्रेम
Read Moreनहीं पूर्ण मैं, लगा हलन्त्! नहीं, जानता कहाँ बसन्त?? सर्दी पीड़ित है तन-मन। कोहरे से ढका हुआ जन-जन। भाव बर्फ
Read Moreसकल दुखों को परे हटाकर,अब तो सुख को गढ़ना होगा ! डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना
Read Moreबसंत तुम इठलाना मत गीत बेसुरे गाना मत । तुझसे सजेगी धरती प्यारी फूल फूल हर क्यारी क्यारी देख देख
Read Moreतृष्णा के आधीन हुआ मन लालच जीत रहा। व्यर्थ दौड़ में वृथा ज़िन्दगी का घट रीत रहा।। मन हरि से
Read Moreबीत रहा ये जीवन प्रतिपल, सूर्य उदित होता ए प्रतिदिन। मेरी राते बीते दिन गिन, अब तक दिखी न
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