दोहे
श्रृद्धा की थाली सजी, मनभावों के दीप। स्वीकारो प्रभु वंदना, अंतस करो सुदीप।। रीति नीति सत साधना, मानव सेवा भाव।
Read Moreदिल की बातें कभी-कभी होंठों पर भी आ जाती है। मुस्कुराहट मन में खिल कभी लबो पर छा जाती है।
Read Moreअभी-अभी बारिश हुई, अभी खिली है धूप। सबके मन को मोहता, चौमासे का रूप।। खेल रहे आकाश में, बादल अपना
Read Moreशीर्षक—अहंकार, दर्प, दंभ, अभिमान, मद, गर्व, घमण्ड ) नित मायावी खेत में, उग रहे अहंकार। पाल पोस हम खुद रहे,
Read Moreनारी सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार ! प्रेम-नेह का दीप ले, हर लेती अँधियार !! पीड़ा,ग़म में भी
Read Moreबेटी तो कोमल कली ,बेटी तो तलवार ! बेटी सचमुच धैर्य है,बेटी तो अंगार !! बेटी है संवेदना,बेटी है आवेश
Read Moreसुन रे गुलाब मैं तुझसे मुहब्बत पेनाह करता हूँ। पर ये न समझना कि निरे काँटों में निर्वाह करता हूँ।
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