ये प्रेम नहीं कोई खेल प्रिये
ये प्रेम नहीं कोई खेल प्रिये, यह तो मर्यांदित बन्धन हैं। तुम हृदय में कुंठा मत पालों , मैं तुलसी
Read Moreये प्रेम नहीं कोई खेल प्रिये, यह तो मर्यांदित बन्धन हैं। तुम हृदय में कुंठा मत पालों , मैं तुलसी
Read Moreमन होश रहे,तन जोश रहे,रोक नहीं राह कोई सकता। बल तन में, विश्वास मन में,रोक नहीं राह कोई सकता। होश
Read Moreआज लिखने जैसा कुछ भी नहीं पर सोच है कि रुकती नहीं मैं सोचता हूं… लाचार, बीमार- शब्द उभरता है
Read Moreडॉ. सदानंद पॉल की कविताएँ….. 1. जाति जो नहीं जाती ! जाति एक कुप्रथा है ! ‘मानव धर्म’ ही सच्चा
Read Moreकहाँ जा के रुकेगा जाने ये कुदरत का कहर। ज़िन्दगी लगने लगी जैसे पल-दो-पल का सफ़र।। अपना बोया हुआ ही
Read Moreकल एक कवि मित्र को फोन कियाउसने ढँग से रिस्पांस ही नहीं दियामैंने पूछा-क्या झगड़ा हो गया है किसी सेवो
Read Moreआसमां से तारे लाती सबका दिल शीतल कर देती उसके बिन सुना जग सारा ए सखि साजन?ना सखि माता।
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