नव वर्ष है आई
नव वर्ष है आई ************ शहर सज गए नव वधु जैसे गूंज उठी शहनाई इठलाती बलखाती देखो नव वर्ष है
Read Moreनव वर्ष है आई ************ शहर सज गए नव वधु जैसे गूंज उठी शहनाई इठलाती बलखाती देखो नव वर्ष है
Read Moreमैं पाता हूँ कभी – कभार एक ठहराव अपने भीतर कर देना चाहता हूँ कलमबध अनेक पीड़ाओं को और साथ
Read Moreचालीस पार की औरतें जैसे हो दीमक लगी दीवारें ! चमकदार सा बाहरी आवरण, खोखली होती भीतर से परत -दर -परत। जैसे
Read Moreनव-बरस आते ही रहना हम सदा स्वागत करेंगे। तुम अगर क्रम तोड़ दोगे काल चलना छोड़ देगा। देख मुरझाई
Read Moreसर्द ॠतु में, मन्द सर्द के साथ नवीन उत्कर्ष के साथ नवीन प्रसंग के साथ दोखो नया वर्ष आया है
Read Moreमुझे नदिया न समझ लेना समन्दर हूँ मैं तो इक गहरा ! बड़े ही धोखे है खाया हुआ मासूम सा
Read Moreआज प्रकृति की छटा निराली है , हरे – भरे वृक्षों से डालिया सजी है । कोयल की कुहू से
Read More