अब कैसा है दर्द ?
लो अब मई चला अगले साल आऊँगा । सोम-सोम नहीं, मंगल लिए । दिल है कि मानता नहीं ! शुभम
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Read Moreये भी अजीब सी पहली है कि बारिश की भावनाओं को तो पढ़ लेना बहुत मुश्किल नहीं समझ में भी
Read Moreरिश्तों का अपनापन प्रेम-राग के गीतों में , ठुनकता अपनापन। आत्मीय से लबरेज़ अनूठा, झलकता अपनापन।। गुरुकुल और आनन्दों की
Read Moreहम बिखरगे कुछ इस तरह कि तुम संभाल भी न पाओगे। हम टूटेंगे कुछ इस तरह तुम जोड़ भी न
Read Moreअचानक एक दिन पुराने खत दिखे तो बीते दिनों की याद ताजा हो गई, अलमारी में कैद पुराने खतों की
Read Moreक्या हुआ इस दुनिया मे , ना जाने किस गली मे खो गई , ना तुम्हारा पता ना तेरी यादों
Read Moreआज भी सिहर जाता हूँ याद करके वो मनहूस बरसात, जो मेरी परीक्षा लेते लेते मेरी अबोध बच्ची को निगल
Read Moreतुम मुझे मिलो या न मिलो ! पर तुम्हारी पल्लू का स्पर्श मिलती रहे प्रतिदिन ! ×××× मैं भी हुआ
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