विरह वेदना की पीड़ा
विरह वेदना की पीड़ा को भला वे क्या जानेंगे ? जो छोड़ गए बेबस हमें अपना क्या मानेंगे ? तपते
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Read Moreमानव के कुकृत्यों से, मां वसुंधरा भी अकुलाई है। मानव ने मानवता त्यागी, तब यह विपदा आई है। दया ,प्रेम
Read Moreसारा खेल है दो जून की रोटी का कोई दिन भर रहता परेशान है तोड़ता है हाड़ अपने इसको पाने
Read Moreमुख पर सुरीले गीत ह्रिदय रसहीन वाणी झरे मेह मन करुणा विहीन सुहाता जिन्हें निज स्वार्थ ही केवल करें श्रृंगार
Read Moreजब हाथ में रहे न बात तो वक़्त के हाथ छोड़ दे निशब्द हो बैठ जा कर इंतजार वक़्त का
Read More1. अच्छी बात सत्ता के 6 वर्ष ! अन्य देशों को मदद की गई, यह तो अच्छी बात है !
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