मनभावन सावन
वो मनभावन सावन मेरा इस बारी फिर से आया है प्यारे मायके की यादों का रेला संग में फिर से
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Read Moreबादलों की गोद से उतरती भावनी रसधार छम -छम….. रिमझिम पायल पहने नाच – नाच …. आँगन हिलोर हर्ष करती
Read Moreजाने कैसे-कैसे निशिचर घूम रहे हैं मानव बन, मानव रूप लिये फिरते हैं गलियों में दानव बन। होलागढ़ थाना क्षेत्र
Read More1. स्वर्गीय स्वर्गीय होने के लिए मरना पड़ता है व ईश्वर स्वर्ग में रहते हैं ! जब ईश्वर प्राप्ति हेतु
Read Moreहर आंगन में ख़ुशियों का अंबार नहीं होता, नित्य होते इम्तेहानों का कभी पार नहीं होता, कोशिशों में लगा ही
Read Moreसर्वप्रथम शिक्षक हम सबके, माता और पिता बने, बाल्यकाल में उन्हीं से, हमें शिक्षा के उपहार मिले, द्वितीय शिक्षक फ़िर
Read Moreमेरी अधूरी कविता मेरी ही तरह सम्पूर्णता को तलाशती है मैं सम्बन्धों में पूर्णता खोजती हूं वो शब्दों से पूरी
Read Moreपानी की दो बूंद गिरी जगी किरण एक आशा की सूखी हुई धरती और मन ने ली एक अंगड़ाई धरती
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