परमेश्वर की संतान !
सर्व सिद्धांत व नियम का , पालन किया यीशु , तू पिता , परमेश्वर के पूत , मैं तेरा शिशु
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Read Moreशंख, लिखित दो ऋषि भाई थे, हंसध्वज के राज में , थे राजगुरु, राज-पंडित औ’ शास्त्र, ज्योतिष, काज में ।
Read Moreसमाचार यहाँ , घोड़ा यज्ञ का , नगर – प्रवेश किया है , पकड़ो – पकड़ो का आदेश , हंसध्वज
Read Moreमिथिलांचल में पाटलिपुत्र-सा, कुशध्वज की रज्जधानी थी , अवतार वैदेही माता जानकी, कि स्वयं शक्ति भवानी थी। पुष्प पाटल की
Read Moreअहम् वृक्ष का फल रहा, तब भारत आगे ‘महा’ लगा , महा शब्द,पर महान अलग ,औ’ मित्र, भाई, अहा !
Read Moreकोई गिनती नहीं,पशु में अश्व की,अश्व असत्य में सत्य है, सृष्टि काल-ग्रास में, पृथ्वी पर जीवन, सबके सब मर्त्य है
Read Moreकेवल घोड़ा छोड़ कहलाना , चक्रवर्ती, अश्वमेध नहीं , लौट अश्व , उस यज्ञस्थल पर, यह भी अश्वमेध नहीं ।
Read Moreसृष्टिपूर्व मैं शब्द था, फिर अंड – पिंड – ब्रह्माण्ड बना, जनक-जननी, भ्रातृ-बहना, गुरु-शिष्य औ’ खंड बना । हूँ काल
Read Moreभूलो अपनी दलगत अनबन। सीमा पर चढ़ आया दुश्मन। खतरे में है अब घर आँगन। सीमा पर चढ़ आया दुश्मन।
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