लेखनी
लेखनी तुम क्यों रुकने लगी हो,क्या तुम्हें शब्द नही मिलतेया समाज की कटुता नेतुम्हें भी निशब्द कर दिया है ।
Read Moreकृत्रिम संकल्प छोड़ो , प्लास्टिक से ! दृढ़ संकल्प ग्रहण करो , प्लास्टिक से !! धरा पर ढेर लग रहे
Read Moreउम्र के इस पड़ाव पर मैं भूल गयी थी सब पढ़ा लिखा अब कैसी है ये जिद तुम्हारी कलम देकर
Read Moreअजब-गजब जग, नर छल मत कर, धरम-करम कर, जनम सफल कर । यह तन, मन,धन,जल,थल, परबत, सब अब रब कर,
Read Moreध्यानचंद के फ़ेवर में मजबूत लॉबी और पॉलिटिकल पॉवर होती, तो निश्चितश: उन्हें ‘भारत रत्न’ मिल गयी होती ! ••••••
Read Moreहै इश्क़ अगर तो जताना ही होगा दिलबर को पहले बताना ही होगा पसंद नापसंद की है परवाह कैसी तोहफ़े
Read Moreतुम्हीं मुझे क्यों याद आते हो ख्याल तुम्हारा ही क्यों आता है शायद तुमसे है कोई दिल का रिश्ता जो
Read More