तुम से बिछड़ के।
तुम से बिछड़ के सोचा न था, फिर तुम से यूं मिलना होगा। उन गलियों में फिर अपना, इक बार
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Read Moreहाँ मुझे प्यार हुआ है… हाँ मुझे प्यार हुआ है पर तुम परवाह मत किया करो उनकी बाहों में देख
Read Moreकरघा व्यर्थ हुआ कबीर ने बुनना छोड़ दिया । काशी में नंगों का बहुमत , अब चादर
Read Moreकोशिश करना मुश्किल है नामुमकिन कुछ न हो पाएगा । राह मिले ना भले तुझे पर पथ पे आगे बढ
Read Moreजुगलबंदी की महफ़िल ”जुगलबंदी एक गुलशन है, जिसमें काव्य के फूल खिलते हैं, इस अनोखे गुलशन की महफ़िल में, अनेक
Read Moreकाली-काली हे बदरिया पिया से जा के क ह संदेशिया ऐसे में, सजन काहे हैं परदेशिया। कैसे कहू मैं काली
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