छुटकू खरगोश
छुटकू खरगोश छुटकू खरगोश कितना प्यारा, मृदुल रुई सा, सफेदी का चमकारा, बादल सा हल्का फुल्का, फुर्तीला, मेरा साथी, प्रिय
Read Moreछुटकू खरगोश छुटकू खरगोश कितना प्यारा, मृदुल रुई सा, सफेदी का चमकारा, बादल सा हल्का फुल्का, फुर्तीला, मेरा साथी, प्रिय
Read Moreगर्मी की छुट्टी है आई, नानी मां की याद सताई। घूमे-फिरे, मौज मनाई, जलेबी, लड्डू,बर्फी खाई।। गर्मी की छुट्टी ……
Read Moreफूल खिलेंगें क्यारी क्यारी, चारों दिशा में हो हरियाली । नदियाँ,लताएँ, झरने, घाटी, महक उठेगी धरती प्यारी । सुमन लदी
Read Moreकाली-काली घटा देखकर, उमड़-घुमड़ कर बदली आई। बिखर गई वह बारिश बनकर, धरती पर हरियाली छाई। मोर नाचते कोयल गाए,
Read Moreबचपन की हर बात निराली। शुभता की सौगात सँभाली।। बचपन से ईश्वर की तुलना। पानी में मिश्री का घुलना। पारदर्शिता
Read Moreलाल रंग की सुघर सुराही। मिट्टी से ये बनी सुराही।। शीतल जल दे प्यास बुझाती, अपनापन दे नित्य सुराही। गर्मी
Read Moreहुआ सवेरा एक है मिटा अंधेरा अनेक है, जीवन की लालिमा छाई बुराई की कालिमा भगाई, नन्हें मुन्ने फूलों ने
Read Moreकुहू कुहू कोयल की सुनकर कौआ रह गया जल भुनकर। एकदिन उसने जाल बिछाया जाकर कोयल को उकसाया। उससे करने
Read Moreबाल कविता “आम और लीची” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—आम फलों का राजा होतालीची होती रानीगुठली ऊपर गूदा होताछिलका है बेमानी—जब बागों
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