बालकहानी- चतुराई धरी रह गई.
चतुरसिंह के पिता का देहांत हो चुका था. उसने अपने छोटे भाई कोमलसिंह को बंटवारा करने के लिए बुलाया, “बंटवारे
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Read Moreप्रिय विद्यार्थीयों जैसा की आप लोग जानते है की कुछ ही दिनों में बोर्ड की वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने जा
Read Moreमां मुझको तू कृष्ण बना दे, देश प्रेम की लगन लगा दे, छोटा-सा पीताम्बर पहना, छोटी-सी वंशी दिलवादे. मोरपंख का
Read Moreकोमल एक गरीब मां-बाप का बेटा था किसी तरह मेहनत मजदूरी करके सभी का गुजारा चलता था। कभी-कभी काम न
Read Moreमेरी तो हैं चार भुजाएं, चार कोण हैं मैंने पाए, चारों ही हैं एक बराबर, नाम वर्ग है मेरा
Read Moreकालू आया, कालू आया, कालू चाचा कुल्फी लाया, नीली-पीली कुल्फी लाया, रामू का भी मन ललचाया. पीली कुल्फी खाऊंगा मैं,
Read Moreसबसे प्यारा सबसे न्यारा देश हमारा है करना इससे प्यार यही तो अपना सहारा है इसकी धूल से जन्म लिया
Read Moreपापा कई खिलौने लाए, मैंने सबके नाम गिनाए, नाम एक का बता न पाया, किसी तरह भी समझ न आया.
Read Moreछोटी-सी बच्ची थी उम्र की कच्ची थी स्कूल जाते-जाते बोली ”ममी आपने जो ऊन-क्रोशिए से रंगबिरंगी टोपी बनाई थी वह
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