भूषण छंद मुक्तक
भगीरथी गंगा भू पर, आई देखो रुमक-झुमक। बधाइयां लो सकल सुजन, सुजला सुफला संरक्षक।। जीवन दात्री का आँचल, डालो मत
Read Moreभगीरथी गंगा भू पर, आई देखो रुमक-झुमक। बधाइयां लो सकल सुजन, सुजला सुफला संरक्षक।। जीवन दात्री का आँचल, डालो मत
Read Moreजंगल, पर्वत करुण रुदन, ताल सरोवर अवरोधन। स्वार्थी मनु करता निज हित, धरती माता का दोहन।। पक्षी घुमते इधर-उधर, कहाँ
Read Moreन जाने क्या बात थी अंदाज़ में, वो पल उसके साथ में।कुछ नया सा हो गया, रिश्ता प्यार हो गया।
Read Moreआया यह कैसा प्रगति का दौरहर तरफ है बस शोर ही शोरबम -बंदूकों की गड़गड़ाहट सेछाया जगत में अंधियारा घनघोरआया
Read Moreपक्षियों का गूंजें मीठा शोर,हरियाली छाई हो चारों ओर,झूमें वन उपवन लताएँ सारी,महके फूलों की सुंदर क्यारी । करुणामई मॉं
Read Moreये पृथ्वी हमें बचानी होगी ।वरना, निर्जीव हमारी कहानी होगी ।। वृक्ष वन, जल -जीव सब घटता जा रहा है
Read Moreमैं पिछला साल का पौधा हूँ,जिसे तुमने कैमरे की फ़्लैश में रोपा था,हाथ में कुदाल नहीं,पर हाथ में ढेर सारे
Read Moreपौधे उगते हैं अब केवल स्टेटस की ज़ुबानों में,धूप तप रही है सच में, साया है अफसानों में। हरियाली की
Read Moreगीत गा रही वर्षारानी,आसमान शोभित है।बहुत दिनों के बाद धरा खुश,तबियत आनंदित है।। गर्मी बीती आई वर्षा,चार माह चौमासा।कभी धूप,तो
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