यादें
उम्र के इस पड़ाव पे जब अकेला हो गया हूँ याद आता है अब वही सब पुराना वो घर वो
Read Moreमनुष्य में मनुष्य नहीं दिख पातापर तुरंत ही जाति दिख जाती है,कुछ लोगों को उनके संस्कारशायद यहीं सिखाती है,जाति के
Read Moreतरह-तरह के लोक लुभावने वादेजीत के पहले व्यक्तित्व सादेजब जीत सुनिश्चित हुईफिर दिखाते प्रतिबिंब पियादे।जमीनी स्तर में पाँव नहीबैठने को
Read Moreवसंत कई दिनों के वियोग यात्रा की थकान हो गया था सर्द बेरोजगारी के दर्द को समेटे हुए घर वापस
Read Moreघर लौटा वसंत लगभग दस माह की अविरल यात्रा के बाद थकान, मलिनता और क्लांति के भावों को चेहरे पर
Read Moreतुम्हारे नाम ये आखिरी खत,लिख रहा हूँ दिल की स्याही में डूबो कर,शब्द कांप रहे हैं कागज़ पर,पर जज़्बात बहते
Read Moreचुनाव प्रचार तो, चलो थम गयाअब थोड़ी शांति, भी आएगीपर कड़वाहट जो,इतनी फैल गयीक्या वह कुछ, कम हो पाएगी सम्बन्ध,
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